अब अविरल होकर बहेगी काली नदी 

नीर फाउंडेशन द्वारा पिछले एक दशक से काली नदी के उद्गम को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे थे। इसके लिए स्थानीय प्रशासन से लेकर उत्तर प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार की ओर से लगातार कोशिशें जारी थी। काली नदी पूर्वी के उद्गम स्थल मुजफ्फरनगर जनपद अंतवाड़ा गांव में अब उद्गम स्थल को पुनर्जीवित करने का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है।

नीर फाउंडेशन के निदेशक रमनकांत त्यागी ने बताया कि मुजफ्फरनगर जनपद के जिलाधिकारी को पत्र के माध्यम से व उनसे मिलकर काली नदी के महत्व, उसके उद्गम तथा उसकी सम्पूर्ण स्थिति के संबंध में जानकारी दी गई थी। उनकी तरफ से उद्गम स्थल पर झील का निर्माण करने तथा उसकी सफाई आदि के कार्य के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे थे। आज हमारे आग्रह पर अंतवाड़ा गांव में ग्रामीणों के साथ बैठकर बात की गई तथा आज ही उद्गम पर झील बनाने का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया। कार्य का प्रारम्भ जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर श्री राजीव शर्मा द्वारा किया गया, साथ ही मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी, ब्लाॅक प्रमुख, तहसीलदार, दस गांवों के प्रधान सहित करीब 500 लोग मौजूद रहे।

यह कार्य पूरी तरह से समाज के सहयोग से होगा। आज ही नदी पुनर्जीवन के लिए वहां मौजूद लोगों ने अपना-अपना योगदान देने की घोषणा की। इसमें जिलाधिकारी व सीडीओ इक्यावन-इक्यावन हजार रूपयों का सहयोग करेंगे। इसी प्रकार आज सभी ने वहां अपने योगदान की घोषणा की, जिससे तकरीबन पांच लाख रूपये एकत्र हुए। कुछ लोगों ने जेसीबी मशीन उपलब्ध कराने की बात रखी। 

 

गंगा नदी को होगा लाभ

जिलाधिकारी द्वारा नीर फाउंडेशन के आग्रह पर काली नदी के उद्गम की भूमि का चिन्हांकन जून माह में ही करा दिया गया था तथा उस पर ट्रैक्टर चलवा दिया था, इसके अतिरिक्त जिन किसानों ने नदी की भूमि कब्जाई हुई थी, उनको नोटिस भेज दिए गए थे। उद्गम स्थल पर नदी की करीब 160 बीघा भूमि है, जो कि मुजफ्फरनगर जनपद की खतौली तहसील के अंतवाड़ा गांव में स्थित है। यहां इस नदी को नागिन के नाम से भी जाना जाता है। यह गंगा की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है, जो कि मुजफ्फरनगर से निकलकर, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा, फरूर्खाबाद, कासगंज व कन्नौज में जाकर गंगा नदी में समाहित हो जाती है। इसकी कुल लम्बाई करीब 500 किलोमीटर है। गौरतलब है कि नीर फाउंडेशन के अध्ययन के आधार पर ही इस नदी को भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे योजना में शामिल किया गया था। काली नदी अंतवाड़ा गांव से लेकर मेरठ जनपद की सीमा तक करीब 14 किलोमीटर तक बहती है तथा इसके दोनों किनारों पर दस गांव बसे हुए हैं।

 

अंतवाड़ा गांव को पर्यटन की दृष्टि से किया जाएगा विकसित

गौरतलब है कि नीर फाउंडेशन की पहल पर इस झील में पानी लाने के लिए सिंचाई विभाग ने भी अपनी सहमति दे दी है। इसके लिए सिंचाई विभाग द्वारा एक प्रपोजल भी तैयार किया जा चुका है। इस प्रपोजल को उत्तर प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार को नीर फाउंडेशन द्वारा पहले ही भेजा जा चुका है। काली नदी पूर्वी की अविरलता से अंतवाडा ग्राम को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किये जाने में सहायता मिलेगी, गांव का सौन्दर्यकरण भी किया जाएगा.

रमन त्यागी ने बताया कि वह दिन अब दूर नहीं जब हिण्डन की प्रमुख सहायक नदी काली पूर्वी अपने उद्गम स्थल से साथ स्वच्छ बहने लगेगी। काली नदी पूर्वी के उद्गम स्थल पर झील बनाने तथा उसके मुख्य मार्ग को पुनर्जीवित करने का कार्य करीब एक माह में पूर्ण कर लिया जाएगा। झील किनारे वृक्षारोपण कराकर यहां नदी उद्गम को स्थापित करने वाला पत्थर लगाया जाएगा।

 

सिंचाई विभाग द्वारा किया गया निरीक्षण 

मंगलवार को नीर फाउंडेशन और सिंचाई विभाग की टीम के द्वारा खतौली में उदगम स्थल पर चल रहे झील बनाने के कार्य को देखा गया। इसके अतिरिक्त झील तक पानी लाने के लिए सिंचाई विभाग की टीम द्वारा पड़ताल भी की गयी। रमन त्यागी ने बताया कि नीर फाउंडेशन की पहल पर इस झील में पानी लाने के लिए सिंचाई विभाग अपनी सहमति दे चुका है। इसके लिए सिंचाई विभाग की ओर से एक प्रपोजल तैयार करके उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार भेजा जा चुका है। मंगलवार को यहां पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों की टीम ने झील तक पानी पहुँचाने के तरीकों के लिए निरीक्षण किया। रमन त्यागी का कहना है कि हिंडन की प्रमुख सहायक नदी काली पूर्वी भी अब अपने उद्गम स्थल से निर्मल होकर बहने लगेगी।