मेरठ- राष्ट्रीय नदी गंगा की प्रमुख सहायक नदी काली पूर्वी के उद्धार के लिए नीर फाउंडेशन की ओर से किए गए प्रयासों से अब उम्मीद जगी है। एक ओर जहां पूर्वी को नमामि गंगे में शामिल कर लिया गया है, वहीं इसके लिए सिंचाई विभाग ने भी एक योजना तैयार की है। नहर का पानी काली नदी पूर्वी में छोड़कर इसे पुनर्जीवित किया जाएगा। इसके लिए रविवार को नीर फाउंडेशन की टीम ने छिलौरा गांव के निकट नदी का हाल देखा, जहां दौराला गन्ना मिल का पानी काली नदी पूर्वी में गिर रहा था।

 

नीर फाउंडेशन के निदेशक रमन कांत त्यागी ने बताया कि तत्कालीन कमिश्नर मृत्युंजय कुमार नारायण के निर्देश पर तत्कालीन डीएम विकास गोठलवाल ने काली नदी पूर्वी के लिए एक समिति का गठन किया था।  समिति को प्रदूषण, तालाब, पानी की कमी, स्वास्थ्य व कृषि जैसै विषयों को शामिल करके एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी थी। साथ ही यह भी बताना था कि काली नदी के सुधार के लिए क्या किया जाए। समिति की चार बैठकों के दौरान काली नदी पूर्वी का एक विजन डाक्यूमेंट भी तैयार किया गया था जो कि सिंचाई विभाग के पास मौजूद है। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने काली नदी में पानी की मात्रा बढ़ाने को एक प्रपोजल तैयार किया था। इस प्रपोजल में मेरठ खंड गंगानहर के कार्यक्षेत्र के नियंत्रणाधीन माइनर अंतवाडा से 105 क्यूसेक पानी छोड़ना प्रस्तावित है। परियोजना की कुल लागत करीब 22 करोड़ है। यह परियोजना मुख्य अभियंता गंगा सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने सरकार को संतुति करके भेजा जा चुका है।

 

नीर फाउंडेशन की टीम ने शुरू किया कार्य

नीर फाउंडेशन ने अपना ग्राउंड वर्क प्रारम्भ कर दिया है। इसके तहत अंतवाडा और खतौली में नीर फाउंडेशन की टीम दौरा कर चुकी है। नहर से इस नदी के उद्गम तक पानी आने से तथा उस स्थान पर बड़ा तालाब बनाने से जहां नदी बहना प्रारम्भ करेगी। इसके प्रदूषण में भी कमी आएगी। धीरे- धीरे भूजल की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे नदी के निकट बसे गांवों को भी राहत मिलेगी।

 

कन्नौज में जाकर गंगा में मिलती है काली पूर्वी

काली नदी पूर्वी मुजफ्फरनगर जनपद के अंतवाड़ गांव से निकलकर मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, एटा, फरूर्खाबाद व अंत में कन्नौज में जाकर गंगा में मिल जाती है। इसकी कुल लम्बाई 598 किलोमीटर है तथा इसके दोनों किनारों पर करीब 1200 गांव शहर व कस्बे बसे हुए हैं। इस नदी में उद्योगों, शहरों व कस्बों का तरल गैर- शोधित कचरा जाकर मिलता है।